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सोमवार, 5 नवंबर 2018

Bhagvad gita in hindi हरि ॐ तत्सत २-६(अध्याय -1)

Read Bhagwat Geeta In Hindi



संजय उवाच
२-दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
   आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्‌॥


संजय बोले- उस समय राजा दुर्योधन ने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवों की सेना को देखा और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा|
(क्या  संजय के पास दूर द्रष्टि थी? क्या आपके पास है?
जी सफलता केलिए यह होना बहुत जरूरी है ।)

३-पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्‌।
   व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता॥
हे आचार्य! आपके बुद्धिमान्‌ शिष्य द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई पाण्डुपुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिए

४-अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।

५-धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्‌।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङवः।

६-युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्‌।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।

इस सेना में बड़े-बड़े धनुषों वाले तथा युद्ध में भीम और अर्जुन के समान शूरवीर सात्यकि और विराट तथा महारथी राजा द्रुपद, धृष्टकेतु और चेकितान तथा बलवान काशिराज, पुरुजित, कुन्तिभोज और मनुष्यों में श्रेष्ठ शैब्य, पराक्रमी युधामन्यु तथा बलवान उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र- ये सभी महारथी हैं।

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